सुई-धागा, ये याद तो है न... तरक्की की चाह है तो 50 पार इस महिला के जुनून की कहानी पढ़िए

नई दिल्‍ली: मुंबई की रहने वाली मंजूषा जेवियर ने 52 साल की उम्र में नौकरी छूटने के बाद 'तोहफा' नाम से अपना व्यवसाय शुरू किया। सिलाई का शौक उन्हें बचपन से रहा था। उन्होंने अपनी बेटी नाजुका के साथ मिलकर कपड़े से बने होम डेकोरेशन के सामान बनाने शुरू

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नई दिल्‍ली: मुंबई की रहने वाली मंजूषा जेवियर ने 52 साल की उम्र में नौकरी छूटने के बाद 'तोहफा' नाम से अपना व्यवसाय शुरू किया। सिलाई का शौक उन्हें बचपन से रहा था। उन्होंने अपनी बेटी नाजुका के साथ मिलकर कपड़े से बने होम डेकोरेशन के सामान बनाने शुरू किए। उनके बनाए प्रोडक्‍टों को लोगों ने हाथोंहाथ लिया। मंजूषा का ब्रांड 'तोहफा' आज लाखों की कमाई कर रहा है। आइए, यहां मंजूषा जेवियर की सफलता के सफर के बारे में जानते हैं।

बचपन से था सिलाई का शौक

बचपन से था सिलाई का शौक

मंजूषा को बचपन से ही सिलाई का शौक था। उन्होंने अपनी इसी कला को अपने व्यवसाय का आधार बनाया। उन्होंने 2,000 रुपये के निवेश से शुरुआत की। आज उनका ब्रांड 'तोहफा' लाखों का रेवेन्‍यू कमा रहा है। मंजूषा की कहानी उन सभी महिलाओं के लिए प्रेरणा है जो उम्र के किसी भी पड़ाव पर अपने जुनून को आगे बढ़ाना चाहती हैं।

2016 में चली गई थी नौकरी

2016 में चली गई थी नौकरी

मंजूषा जेवियर की 2016 में नौकरी चली गई थी। उस समय वह 52 साल की थीं। उन्‍हें अपनी बेटी की शिक्षा का खर्च उठाना था और घर चलाना था। दूसरी नौकरी की तलाश करना एक मुश्किल काम लग रहा था। फिर उन्‍होंने बेटी नाज़ुका जेवियर (31) के साथ बात की। नाजुका मार्केटिंग पेशेवर हैं। इस बातचीत में ही वो आइडिया आया, जो आज 'तोहफा' में तब्दील हो गया है। उनका ब्रांड अपनी अनूठी घर की सजावट और कपड़े के डिजाइनों के साथ एक अलग कहानी बुन रहा है। इसकी शुरुआत 2,000 रुपये के निवेश से हुई थी। आज, यह लाखों की कमाई कर रहा है।

बेटी ने दी ह‍िम्‍मत

बेटी ने दी ह‍िम्‍मत

ये सफर भी बड़ा दिलचस्‍प था। बुटीक में अपनी नौकरी छूटने के तुरंत बाद मंजूषा को एक छोटी सी लॉ फर्म में नौकरी मिल गई। उन्‍हें आने-जाने में डेढ़ घंटे लगते थे। लेकिन, उन्‍होंने सोचा, कम से कम वह कमा तो रही हैं। जैसे-जैसे समय बीतता गया, मंजूषा को यह साफ होता गया कि वह लॉ फर्म के लिए नहीं बनी हैं। नाज़ुका ने उस समय ही ग्रेजुएशन किया था। मंजूषा चाहती थीं कि बेटी के पास वह सब कुछ हो जो युवा लड़कियों को चाहिए होता है। जिसकी वे उम्मीद करती हैं। इसलिए उन्‍होंने नौकरी जारी रखी। लेकिन, अपनी मां की चिंता को हर गुजरते दिन के साथ बढ़ता देख नाज़ुका ने उनसे इस बारे में बात की। नाज़ुका ने अपनी मां को सलाह दी कि वह कुछ ऐसा करें जो उन्‍हें पसंद हो। मंजूषा ने सिलाई को अपनी पहली पसंद बताया। यही वह पल था जब 'तोहफा' का जन्म हुआ।

सिलाई ने सपनों से जोड़ दिया

सिलाई ने सपनों से जोड़ दिया

लंबे अंतराल के बाद मंजूषा की सिलाई मशीन में फिर से जान आ गई। उन्‍होंने पर्स, मेकअप पाउच, लैपटॉप स्लीव्स, कुशन कवर और कपड़े की ट्रे जैसे सुंदर होम डेकोर बनाने शुरू कर दिए। हरेक डिजाइन के साथ मंजूषा ने अपने विजन को अपने सौंदर्यबोध के साथ जोड़ा। वह हमेशा से अपना कुछ करना चाहती थीं। लेकिन आर्थिक तंगी के कारण वह ऐसा नहीं कर सकी थीं। सिलाई ने उन्हें उन भूले हुए सपनों से जोड़ा।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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